हनुमान चालीसा, जो कि भगवान हनुमान की महिमा का गुणगान करने वाला एक अत्यंत शक्तिशाली भजन है, सदियों से भक्तों के जीवन में एक विशेष स्थान रखता है। तुलसीदास जी द्वारा रचित यह चालीसा न केवल भगवान हनुमान के प्रति श्रद्धा और भक्ति को व्यक्त करती है, बल्कि मानसिक, शारीरिक, और आध्यात्मिक लाभ भी प्रदान करती है।
लेकिन आजकल देखने में आ रहा है कि लोग हनुमान चालीसा का पाठ सही तरीके से नहीं कर रहे हैं। इसका मुख्य कारण है प्रिंटिंग प्रेस की गलती, सही उच्चारण का अभाव, और शुद्ध हिंदी के प्रति जागरूकता की कमी। कई बार भक्तजन चालीसा का पाठ करते समय शब्दों का गलत उच्चारण करते हैं या पूरे श्लोक को ही गलत तरीके से पढ़ते हैं, जिससे उसकी प्रभावशीलता कम हो जाती है।
जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी, जो एक प्रतिष्ठित और विख्यात संत हैं, उन्होंने हनुमान चालीसा का शुद्ध और सटीक पाठ प्रस्तुत किया है। उनके अनुसार, हनुमान चालीसा के सही शब्दों और उच्चारण का विशेष महत्व है, जिससे पाठ का पूर्ण लाभ प्राप्त किया जा सके। यहां हनुमान चालीसा का शुद्ध पाठ प्रस्तुत है, जिसे जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी ने बताया है:
श्री हनुमान चालीसा
दोहा
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निजमन मुकुरु सुधार।
बरनउं रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चार।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
राम दूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुण्डल कुँचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे। कांधे मूंज जनेउ साजे।।
शंकर स्वयं केसरी नंदन। तेज प्रताप महा जग वंदन।।
बिद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचन्द्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये। श्री रघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते। कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना। लंकेश्वर भए सब जग जाना।।
जुग सहस्र जोजन पर भानु। लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रच्छक काहू को डर ना।।
आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हांक तें कांपै।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरे सब पीरा। जपत निरन्तर हनुमत बीरा।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै। मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम राय सिर ताजा । तिन के काज सकल तुम साजा।।
और मनोरथ जो कोई लावै। सोई अमित जीवन फल पावै।।
चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु संत के तुम रखवारे।। असुर निकन्दन राम दुलारे।।
अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा। सादर हो रघुपति के दासा।।
तुह्मरे भजन राम को पावै। जनम जनम के दुख बिसरावै।।
अंत काल रघुबर पुर जाई। जहां जन्म हरिभक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जय जय जय हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
यह सत बार पाठ कर कोई। छूटहि बन्दि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
[अपना नाम ले] सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय महं डेरा।।
दोहा
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
पाठ करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:
- शुद्ध उच्चारण: हनुमान चालीसा का पाठ करते समय शब्दों का सही उच्चारण करें। उच्चारण में गलतियां करने से पाठ का प्रभाव कम हो सकता है।
- शांत वातावरण: पाठ को शांत और पवित्र वातावरण में करें ताकि मन एकाग्र और शांत रहे। इससे आप पूरी भक्ति और श्रद्धा के साथ भगवान हनुमान की आराधना कर सकें।
- आस्था और भक्ति: हनुमान चालीसा का पाठ करते समय मन में पूर्ण आस्था और भक्ति होनी चाहिए। यह सिर्फ एक औपचारिकता न होकर सच्चे मन से की जाने वाली आराधना होनी चाहिए।
- सही समय: हनुमान चालीसा का पाठ ब्रह्म मुहूर्त या संध्या समय में करना शुभ माना जाता है।
सही पाठ करने से न केवल हमारे जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं, बल्कि यह मानसिक शांति और शक्ति भी प्रदान करता है। जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी द्वारा बताए गए शुद्ध पाठ का अनुसरण करके आप भी इसका सच्चा लाभ उठा सकते हैं।
नियमित रूप से शुद्ध पाठ करने से हनुमान जी की कृपा सदैव बनी रहती है, और सभी प्रकार के संकटों का नाश होता है। आइए, हम सब मिलकर शुद्ध हृदय से हनुमान चालीसा का पाठ करें और भगवान हनुमान की अनंत कृपा प्राप्त करें। जय हनुमान!