मनोरथ पूरा करने वाली परम कल्याणकारी है सिद्ध कुंजिका स्तोत्र

प्रस्तावना: 

“सिद्ध कुंजिका स्तोत्र” एक अत्यंत महत्वपूर्ण और शक्तिशाली स्तोत्र है, जिसका पाठ करने से व्यक्ति अनगिनत आध्यात्मिक और भौतिक लाभ प्राप्त कर सकता है। इस स्तोत्र का महत्व उसी रूप में है जैसा कि भगवद गीता का, और इसे सिद्ध करने की प्रक्रिया अद्वितीय रूप से मानी जाती है। इस विस्तृत लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि सिद्ध कुंजिका स्तोत्र क्या है, इसका महत्व क्या है, और इसका पाठ करने से कैसे व्यक्ति अपने जीवन को सुधार सकता है।

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Table of Contents

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का महत्व

  1. माँ दुर्गा की आराधना:
    • सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक प्रमुख रूप से माँ दुर्गा की आराधना के लिए है। इस स्तोत्र का पाठ करने से माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति अपनी इच्छाओं को पूर्ण कर सकता है।
  2. शक्ति स्थापना:
    • सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से माँ दुर्गा की शक्ति व्यक्ति के अंदर स्थापित होती है, जो उसे सभी कठिनाइयों से निपटने में मदद करती है।
  3. रोग निवारण:
    • इस स्तोत्र का पाठ करने से रोगों का निवारण होता है और व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की पूर्णता मिलती है।
  4. आत्मिक उन्नति:
    • सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति आत्मिक उन्नति में कदम से कदम मिलाकर बढ़ता है और आत्मा का साक्षात्कार होता है।
  5. भूत-प्रेत शांति:
    • इस स्तोत्र का पाठ करने से भूत-प्रेत शांति होती है और व्यक्ति को अज्ञात भूत-प्रेतों की उत्कृष्ट रक्षा मिलती है।

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ

“ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। अयीं कुट्टिचदुर्गायै स्वाहा।”

पाठ की विधि:

  1. स्थान और समय का चयन:
    • सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने के लिए एक शुद्ध और पवित्र स्थान का चयन करें, जहां आप शांति और एकांत में बैठ सकते हैं। यह समय सुबह या शाम का हो सकता है।
  2. शुद्धि का संकल्प:
    • पाठ करने से पहले शुद्धि का संकल्प करें और अपने मन को शांति में लाने के लिए ध्यान करें।
  3. ध्यान और धारणा:
    • माँ दुर्गा की मूर्ति या चित्र को मन में स्थापित करें और उनकी आदिशक्ति में ध्यान करें। फिर, मंत्र का जप करते समय उसका ध्यान और धारणा करें।
  4. मंत्र का जप:
    • मंत्र का स्पष्ट उच्चारण के साथ ध्यानपूर्वक १०८ बार जप करें। ज्यों ही एक माला समाप्त होती है, त्यों ही दूसरी माला का प्रारंभ करें।
  5. पूजा और आराधना:
    • मंत्र के जप के साथ ही माँ दुर्गा की पूजा और आराधना करें। उन्हें पुष्प, दीप, और अर्घ्य से अर्पित करें।
  6. ध्यानाभ्यास:
    • मंत्र के जप के बाद, ध्यान में बैठकर माँ दुर्गा के चरणों में अपनी इच्छाएं रखें और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।

के इस पाठ का जो मनुष्य किसी भी विषम परिस्थितियों में वाचन और याचन करता है उसके समस्त कष्टों का अंत निश्चित होता है। श्रीरुद्रयामल के गौरीतंत्र में वर्णित सिद्ध कुंजिका स्तोत्र इस प्रकार है-

 

शिव उवाच

शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।

येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजाप: भवेत्।।1।।

न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।

न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम्।।2।।

कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्।

अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम्।।3।।

गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति।

मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।

पाठमात्रेण संसिद्ध् येत् कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।।4।।

अथ मंत्र :-

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं स:

ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल

ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।”

।।इति मंत्र:।।

नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।

नम: कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिन।।1।।

नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिन।।2।।

जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे।

ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका।।3।।

क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते।

चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी।।4।।

विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिण।।5।।

धां धीं धू धूर्जटे: पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।

क्रां क्रीं क्रूं कालिका देविशां शीं शूं मे शुभं कुरु।।6।।

हुं हु हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।

भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः।।7।।

अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं

धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।।

पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा।। 8।।

सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्रसिद्धिंकुरुष्व मे।।

इदंतु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे।

अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति।।

यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्।

न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा।।

।इतिश्रीरुद्रयामले गौरीतंत्रे शिवपार्वती संवादे कुंजिकास्तोत्रं संपूर्णम्।

 

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के फायदे:

  1. आत्म-शुद्धि:
    • सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का नियमित पाठ करने से आत्मा में शुद्धि होती है और व्यक्ति आत्म-साक्षात्कार की ओर बढ़ता है।
  2. कठिनाईयों का निवारण:
    • इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति कठिनाईयों से निपटने की क्षमता प्राप्त करता है और जीवन में समृद्धि प्राप्त होती है।
  3. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य:
    • सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से रोगों का निवारण होता है और व्यक्ति का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य सुधारता है।
  4. परिवार में शांति:
    • इस स्तोत्र का पाठ करने से परिवार में शांति बनी रहती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  5. आत्मिक विकास:
    • सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का नियमित पाठ करने से आत्मिक विकास होता है और व्यक्ति अपने उद्दीपन में बढ़ता है।

समापन:

इस विस्तृत लेख से हम जान सकते हैं कि “सिद्ध कुंजिका स्तोत्र” एक शक्तिशाली और प्रभावशाली स्तोत्र है जो माँ दुर्गा की पूजा और आराधना के लिए प्रसिद्ध है। इसका पाठ करने से व्यक्ति अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव कर सकता है और आत्म-साक्षात्कार की ओर बढ़ सकता है। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र को नियमित रूप से पाठ करने से भक्ति, श्रद्धा, और समर्पण के साथ व्यक्ति अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सफल हो सकता है।

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