दोस्तों आज हम आपको सूर्य नमस्कार के १२ आसनो और उनके फायदे के बारे में जानकारी देंगे , सूर्य नमस्कार को योगासनों में सर्वश्रेष्ठ बताया गया है, इन १२ आसनो के द्वारा हम अपने संपूर्ण शरीर व्यायाम करा सकते है , अगर हम इन १२ आसनो को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लेते है तो इससे हमारा शरीर स्वस्थ निरोगी और चेहरा ओजपूर्ण हो जाता है। यह आसान सभी उम्र के महिलाये , बच्चे और पुरुष कर सकते है।
सूर्य नमस्कार क्या है-
अगर आप अपने शरीर को हष्ट-पुष्ट रखना चाहते है और कोई सरल नुस्खा तलाश रहे है तो सूर्य नमस्कार आपके लिए रामबाण इलाज कहा जाये तो इसमें कोई दोराय नहीं होगा। सनातन हिन्दू संस्कृति में सूर्य को भगवान का दर्जा दिया गया है जो पूरे विश्व को अपनी ऊर्जा से सभी मानव-जाति का कल्याण करता है, हमारे शरीर के लिए सूर्य की ऊर्जा इतनी ही जरूरी है जितनी सांस।बहुत से वैज्ञानिकों का भी कहना है कि सूर्य से आने वाली किरणों में विटामिन डी की अच्छी मात्रा होती है जो हमारे शरीर के लिए भी काफी अतिआवश्यक होती है। अगर पूरा सार निकाला जाये तो जब तक सूर्य है तब तक पृथ्वी पर इंसानों का वजूद है सूर्य के बिना इंसान का जीवित रहना नामुमकिन है।सबसे पहले तो कहा जाये तो सूर्य नमस्कार के कुछ नियम है। सूर्य नमस्कार सूर्य उदय के समय पर सुबह बिना खाली पेट किया जाता है सूर्य नमस्कार करने के लिए एक उचित स्थान होना चाहिए | हल्के कपडें पहनने से सूर्य नमस्कार करने में सुविधा होगी।
तो चलिए आपको बताते है की सूर्य नमस्कार के १२ आसान कौन कौन से है और उनको करने से क्या लाभ होते है।
- प्रणाम आसन
- हस्तउत्तानासन
- हस्तपाद आसन
- अश्व संचालन आसन
- दंडासन
- अष्टांग नमस्कार
- भुजंग आसन
- पर्वत आसन
- अश्वसंचालन आसन
- हस्तपाद आसन
- हस्तउत्थान आसन
- ताड़ासन
सूर्य नमस्कार एक क्रमशः बारह योग मुद्राओं या आसनों का संकलन है जो कि व्यायाम करने से पहले शरीर को गर्म करके उसे योग की अभ्यास के लिए तैयार करता है। यहां सूर्य नमस्कार के 12 आसनों या मुद्राओं के बारे में हिंदी में बताया गया है:
प्रणामासन (प्रार्थना मुद्रा): अपने चेस्ट के सामने अपने हाथों को एकत्र करके और अपने पैरों को एक साथ रखकर मैट के सामने खड़े हों।
हस्तोत्तानासन (उठाए हुए हाथों का पोज): साँस आंदोलित करें और अपने हाथों को ऊपर उठाएं और अपनी पीठ तानें, पूरे शरीर को खींचें।
हस्त-पादासन (हाथ से पैर तक की मुद्रा): साँस छोड़ें और अपने शरीर को आगे झुकाएं और अपने पैरों को छूने की कोशिश करें।
आश्वासन (घोड़ा मुद्रा): अपने बायां पैर को पीछे ले जाएं और बाएं घुटने को माट पर रखें, दाहिने पैर को बाएं पैर के पीछे बढ़ाएं, सीधा करें, आंतरिक निशान दें और मुद्रा की जांच करें।
पर्वतासन (पहाड़ मुद्रा): श्वास छोड़ें और आपके दोनों पैरों को तानकर आपके शरीर को वज्रासन की जांच करने के लिए ऊँचाई पर उठाएं।
अष्टांग नमस्कार (अष्टांग मुद्रा): श्वास छोड़ें और आपके दोनों घुटनों, छाती और चेहरे को माट पर रखें।
भुजँगासन (सर्प मुद्रा): श्वास लें और अपने शरीर को ऊँची छाती से उठाएं, हाथों को जमीन पर रखें और ऊँची नीचे उठाएं।
पर्वतासन (पहाड़ मुद्रा): श्वास छोड़ें और आपके दोनों पैरों को तानकर आपके शरीर को वज्रासन की जांच करने के लिए ऊँचाई पर उठाएं।
आश्वासन (घोड़ा मुद्रा): अपने बायां पैर को पीछे ले जाएं और बाएं घुटने को माट पर रखें, दाहिने पैर को बाएं पैर के पीछे बढ़ाएं, सीधा करें, आंतरिक निशान दें और मुद्रा की जांच करें।
हस्त-पादासन (हाथ से पैर तक की मुद्रा): साँस छोड़ें और अपने शरीर को आगे झुकाएं और अपने पैरों को छूने की कोशिश करें।
हस्तोत्तानासन (उठाए हुए हाथों का पोज): साँस आंदोलित करें और अपने हाथों को ऊपर उठाएं और अपनी पीठ तानें, पूरे शरीर को खींचें।
प्रणामासन (प्रार्थना मुद्रा): अपने चेस्ट के सामने अपने हाथों को एकत्र करके और अपने पैरों को एक साथ रखकर मैट के सामने खड़े हों।
ये हैं सूर्य नमस्कार के 12 योग मुद्राएं। ध्यान दें कि योग आपके शरीर की योग्यता और तालियों के समर्थन के अनुसार संशोधित किए जा सकते हैं। अगर आपको योग का अनुभव नहीं है, तो योग शिक्षक से मार्गदर्शन लेना सुझावित है।
रोज सूर्य नमस्कार करने से क्या होता है?
रोज सूर्य नमस्कार करने से आपके आत्मविश्वास में विर्धि होगी , आपका शरीर स्वस्थ और ऊर्जा से भरा होगा , आपका पाचन तंत्र और आपकी हड्डिया मज़बूत होगी। क्यूकी ये १२ आसान आपके पूरे शरीर के लिए होते है तो इससे आपके पूरे शरीर का विकास होगा और आपका स्वस्थ
अच्छा और निरोगी होगा।
सूर्य नमस्कार को एक दिन में कितनी बार करना चाहिए?
सूर्य नमस्कार करने का सबसे अच्छा समय सूर्य उदय से पहले सुबह 6 बजे से पहले है। जो लोग व्यस्त हैं वे रोजाना 6 बार और अन्य लोग अधिकतम 13 बार कर सकते हैं। पेट खाली होना चाहिए और पानी पीने के बाद 15 मिनट तक इंतजार करना चाहिए। सूर्य नमस्कार धीरे-धीरे और बड़ी एकाग्रता के साथ लाभ प्राप्त करने के लिए किया जाना चाहिए।
सूर्य नमस्कार करने से शरीर की कितनी कैलोरी बर्न होती है?
सूर्य नमस्कार सांसो को साधने का आसान है , जिसमे हमें अपने सांसो को अंदर लेना और बाहर छोड़ना पड़ता है । सूर्य नमस्कार करने से हमारे शरीर की २० से ३० कैलोरी बर्न होती है
सूर्य नमस्कार करने से क्या पेट की चर्बी कम होती है?
सूर्य नमस्कार करने से हमारे पेट की अतिरिक्त चर्बी कम होती और शरीर में फुर्ती और ताकत मिलती है , यह शरीर में आलस्य की को भी दूर भगाता है।
सूर्य नमस्कार के लाभ :
सूर्य नमस्कार करने वैसे तो बहुत से लाभ है जैसे छाती, गला, पेट, पैर शरीर के सभी अंगो के संपूर्ण विकास के लिए ये रामबाण है । सूर्य नमस्कार सर से पैर तक शरीर के सभी अंगो को बहुत लाभान्वित करता है। यही कारण है कि बहुत से योग शिक्षक इसको करने की सलाह देते हैं। सूर्य नमस्कार के अभ्यास से शरीर ,आत्मा और मन को बल मिलता हैं। इसके और भी बहुत से लाभ है।
1. सूर्य नमस्कार करने से आपका शरीर हृष्ट- पुष्ट होता है
सूर्य नमस्कार शारीरिक स्वास्थ्य प्रदान करने के आलावा मानसिक और आध्यात्मिक बल भी प्रदान करता है। यह हमारे पूरे शरीर के आतंरिक और बाहरी अंगों को स्वस्थ और निरोगी बनाए रखने में हमारी मदद करता है।
2. सूर्य नमस्कार से बेहतर होता है पाचन तंत्र
सूर्य नमस्कार पेट के आतंरिक भाग को मज़बूत बनाए रखने में अहम् भूमिका निभाता हैं। यदि आप रोजाना सूर्य नमस्कार कर रहे हैं तो आपका पाचन तंत्र मज़बूत रहता है और आपको पेट से सम्बन्धित बीमारियाँ नहीं होती है।
3. पेट की चर्बी होती है कम
आजकल लोग गूगल पर अपने पेट की चर्बी कम करने की तरकीबें ढूंढते रहते हैं, उनके लिए सूर्य नमस्कार एक अच्छा और आसान उपाय है। आप आज से ही सूर्य नमस्कार को अपने दैनिक जीवन का एक हिस्सा बना लें, कुछ ही दिनों में आप देखेंगे कि कुछ दिन में ही आप अपने आपको किसी राजकुमार या राजकुमारी की तरह फिट दिखने लगेंगे।
4. पूरे शरीर को डीटॉक्स करता है सूर्य नमस्कार के प्रभावशैली आसान
आज कल की भागमभाग जिंदगी में तनाव होना एक आम बात है जिसके कारण लोग अबसाद में अपना जीवन खो देते है। सूर्य नमस्कार का अभ्यास हमारे शरीर के अनचाहे विकार और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकलने में हमारी मदद करते है।
5. तनाव और चिंता को कोसो दूर रखता है सूर्य नमस्कार
सूर्य नमस्कार के अभ्यास से हमारा मन मानसिक रूप से भी चिंतामुक्त और तनावमुक्त रहता है। यह 12 आसन हमें दिन भर तारो ताज़ा रखने में हमारी मदद करते हैं।
7. असंतुलित मासिक-धर्म को संतुलित करना है , तो रोज़ करें सूर्य नमस्कार
ऐसे महिलायें जो अपने मासिक धर्म में अनियमितता से जूझ रही हैं, उनके लिए सूर्य नमस्कार बहुत लाभदायक सिद्ध हो सकता है। सूर्य नमस्कार के नियमित करने से अंडाशय (ओवरी) और गर्भाशय (यूट्रस) स्वस्थ बनाता है और मासिक धर्म की अनियमितता की समस्य को जड़ से दूर करता है।
सूर्य नमस्कार कैसे नहीं करना चाहिए:
सूर्य नमस्कार एक प्रभावी योगाभ्यास है, लेकिन इसे गलत तरीके से करने से चोट या चिढ़ आ सकती है। यहां कुछ गलतियाँ हैं जिन्हें सूर्य नमस्कार करते समय आपको ध्यान में रखना चाहिए:
ताने-बाने धारण करना: सूर्य नमस्कार में हर एक आसन को सही ढंग से करना बहुत महत्वपूर्ण है। आसनों के बीच में सही ढंग से ताने-बाने बनाए रखें और अपने शरीर को सही स्थिति में रखें।
अनुचित श्वास लेना: सूर्य नमस्कार में आसनों के दौरान सही प्राणायाम का महत्व है। सही श्वास लें और सांस को स्थिर रखें। ज्यादा तेजी से श्वास लेने या रोकने से बचें।
अतिरिक्त दबाव डालना: किसी भी आसन में अतिरिक्त दबाव डालना या अपने शरीर को ज़ोर देना उचित नहीं है। आसनों को सहजता से और सावधानीपूर्वक करें।
शारीरिक संकट में करना: अगर आपको कोई शारीरिक संकट है जैसे कि पीठ या घुटने की चोट, स्थायी रोग, गर्भावस्था या किसी अन्य चिकित्सा समस्या, तो सूर्य नमस्कार करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
अतिरिक्त दबाव डालने वाले आसन: कुछ आसन जैसे कि भुजँगासन, अष्टांग नमस्कार, और उठाए हुए हाथों का पोज उच्च स्तर के शरीरिक क्षमता और योगाभ्यास को मांगते हैं। यदि आपको इनमें सहायता की आवश्यकता है, तो पहले योग शिक्षक की मार्गदर्शन लें।
सूर्य नमस्कार को सही ढंग से करने के लिए योग शिक्षक के मार्गदर्शन और सुरक्षा के निर्देशों का पालन करें। यह आपके शरीर को सुर्य नमस्कार के लाभों का अधिक सुरक्षित और प्रभावी तरीके से उठाने में मदद करेगा।
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